नागौर जिले की जायल तहसील में 130 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन ने एक नया मोड़ ले लिया है। जेएसडब्ल्यू सीमेंट कंपनी के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत किसानों ने इस बार धरना स्थल पर ही नया साल मनाया। किसानों का कहना है कि सरकार और प्रशासन की अनदेखी और कंपनी के अत्याचारी रवैये ने उन्हें इस स्थिति में ला खड़ा किया है कि वे अपने परिवार से दूर संघर्ष करने पर मजबूर हैं।

किसानों की प्रमुख समस्याएं और मांगे

आंदोलनरत किसानों की मांगें स्पष्ट और न्यायोचित हैं। उनका कहना है कि कंपनी द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन के बदले उन्हें उचित मुआवजा नहीं दिया गया है। साथ ही, कंपनी द्वारा पर्यावरण को हुए नुकसान और क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन से किसानों की आजीविका पर बुरा असर पड़ा है। किसानों का कहना है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता।

धरनास्थल पर बैठे किसान

नव वर्ष का धरना स्थल पर स्वागत

31 दिसंबर की रात धरना स्थल पर किसानों ने आपसी सहयोग से नए साल का स्वागत किया। किसी ने गीत गाए, तो किसी ने प्रेरणादायक कविताएं सुनाईं। हालांकि, यह खुशी अधूरी थी क्योंकि किसानों को अपने परिवार और बच्चों के साथ यह खास मौका मनाने का अवसर नहीं मिल पाया। किसानों ने कहा कि अगर कंपनी और प्रशासन ने उनकी समस्याओं का समाधान किया होता, तो वे अपने घरों में जश्न मना रहे होते।

रात्रि में पुलिस द्वारा कार्रवाई का प्रयास

27 दिसंबर 2024 की रात जेएसडब्ल्यू कंपनी ने पुलिस बल का सहारा लेकर धरना समाप्त कराने की कोशिश की। किसान नेताओं ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया।

किसान नेता अनिल बारूपाल: “यह घटना तानाशाही का प्रतीक है। कंपनी ने दुर्भावनावश पुलिस का इस्तेमाल करके किसानों की आवाज को दबाने की कोशिश की।”

किसान ओमप्रकाश भांभू: “कंपनी का यह रवैया अंग्रेजी हुकूमत के दौर जैसा है। इस तरह का अन्याय पहले कभी नहीं देखा गया।”

धरनास्थल पर बैठे किसानों ने कंपनी के रवैये पर उठाए सवाल

किसानों ने आरोप लगाया कि कंपनी ने पुलिस और प्रशासन की मदद से रात में कार्रवाई का प्रयास किया ताकि आंदोलन को जबरन समाप्त किया जा सके।

शैलेन्द्र सिंह: “यह घटना साबित करती है कि सरकार किसानों की बजाय कंपनियों के हित में काम कर रही है।”

किसानों ने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन और कंपनी ने अपना रवैया नहीं बदला तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

किसानों के आंदोलन को लेकर प्रशासन और सरकार की असंवेदनशीलता

किसानों ने कहा कि सरकार और प्रशासन की ओर से अब तक उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।बारूपाल ने कहा अगर सरकार ने समय रहते किसानों की समस्याओं पर ध्यान दिया होता, तो आज यह स्थिति नहीं आती।किसानों के द्वारा प्रशासन से अपील की कि वे उनके खिलाफ दमनकारी नीतियां अपनाने की बजाय उनकी मांगों पर गौर करें।

आंदोलन स्थल से किसानों ने अपील

आंदोलनरत किसानों ने जनता, प्रशासन और सरकार से अपील की कि वे उनकी समस्याओं को समझें और जल्द से जल्द समाधान निकालें। उनका कहना है कि अगर उनकी समस्याओं को अनदेखा किया गया तो यह आंदोलन और व्यापक होगा और इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं।

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