
नई दिल्ली। नेपाली सीमा के पास तिब्बत में मंगलवार सुबह 7.1 तीव्रता का भूकंप आया। इस भूकंप के झटके भारत के कई हिस्सों, खासकर बिहार और असम में महसूस किए गए। भूगर्भीय रूप से सक्रिय हिमालयी क्षेत्र में स्थित नेपाल और तिब्बत ऐसे भूकंपों के लिए संवेदनशील माने जाते हैं। यह क्षेत्र भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव से बना है, जिससे हिमालय का निर्माण हुआ और भूकंप की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं।
भूकंप का केंद्र और तीव्रता
भूकंप का केंद्र नेपाली सीमा के पास तिब्बत क्षेत्र में स्थित था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.1 मापी गई। झटके इतने तेज थे कि इसे नेपाल और भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों के अलावा बिहार, असम, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी महसूस किया गया।
बिहार में घबराए लोग
बिहार में भूकंप के झटकों के बाद लोगों में दहशत का माहौल बन गया। राज्य की राजधानी पटना सहित कई जिलों में लोगों ने अपने घरों और अपार्टमेंट्स से बाहर निकलकर खुले स्थानों पर शरण ली। हालांकि, भूकंप के कारण अभी तक किसी भी प्रकार के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।
नेपाल और हिमालयी क्षेत्र में भूकंप की प्रवृत्ति
नेपाल और तिब्बत का हिमालयी क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील है। यह क्षेत्र भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के बीच स्थित है, जो लगातार एक-दूसरे से टकरा रही हैं। इसी वजह से यहां भूकंप की घटनाएं बार-बार होती हैं। 2015 में आए विनाशकारी भूकंप में नेपाल ने भारी तबाही का सामना किया था, जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी।
जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं
हालांकि, मंगलवार के भूकंप में किसी प्रकार के नुकसान की खबर नहीं आई है। भारतीय मौसम विभाग और नेपाल के भूगर्भीय केंद्र ने कहा है कि यह भूकंप काफी गहरा था, जिसकी वजह से इसका प्रभाव सतह पर सीमित रहा। इसके बावजूद, लोगों को सतर्क रहने और किसी भी आपात स्थिति के लिए तैयार रहने को कहा गया है।
नागरिकों से सतर्क रहने की अपील
भूकंप के झटकों के बाद बिहार और अन्य प्रभावित राज्यों में नागरिकों को शांत और सतर्क रहने की अपील की गई है। प्रशासन ने कहा है कि लोग घरों की संरचना का निरीक्षण करें और यदि कहीं दरारें दिखाई दें तो विशेषज्ञों से संपर्क करें।