
सरासनी गांव में किसान-पुलिस टकराव, सांसद हनुमान बेनीवाल ने पुलिस लाठीचार्ज को निंदनीय बताया
नागौर। जिले के सरासनी गांव में बुधवार को किसानों और पुलिस के बीच हिंसक संघर्ष हुआ। यह घटना तब घटी जब किसानों ने निजी कंपनी द्वारा की जा रही जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया के विरोध में धरना दिया हुआ था। करीब 134 दिनों से धरने पर बैठे किसानों का विरोध तब बढ़ गया, जब बुधवार को निजी कंपनी की ओर से जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू की गई।ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव किया, जिसके बाद पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए हल्का बल प्रयोग किया। इस दौरान कुछ उपद्रवियों ने खेत में आग लगा दी। इस घटना के बाद मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया, और स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल का बयान
नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया, जिसमें पुलिस लाठीचार्ज की कड़ी निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि “किसान लोकतांत्रिक तरीके से धरने पर बैठे थे, लेकिन प्रशासन और पुलिस ने न केवल किसानों की मांगों की अनदेखी की, बल्कि उन्हें बल का प्रयोग करके दबाने की कोशिश की।”
बेनीवाल ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासन ने निजी कंपनी के हितों को बढ़ावा देने के लिए किसानों के खिलाफ कार्रवाई की। उन्होंने कहा, “यह कार्रवाई निंदनीय है और लोकतंत्र में ऐसे कृत्यों के लिए कोई स्थान नहीं है। हम इस मुद्दे पर किसानों के साथ खड़े हैं और न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे।”
किसानों की मांगों पर प्रशासन की चुप्पी
किसान नेताओं ने प्रशासन को कई बार अपनी मांगों से अवगत कराया था, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। किसान भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हैं और उनके अनुसार, यह प्रक्रिया उनकी आजीविका और उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
किसान बोले न्याय की उम्मीद किस से करे
इस घटनाक्रम के बाद किसानों की स्थिति और अधिक विकट हो गई है, और उन्हें उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ही उनकी आवाज सुनेगा और इस मामले का हल निकालेगा। सांसद हनुमान बेनीवाल ने घोषणा की कि वे स्वयं जल्द ही नागौर आएंगे और आंदोलनरत किसानों के साथ बैठकर इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करेंगे।किसानों का कहना है कि वे निजी कंपनी के खिलाफ न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे और किसी भी कीमत पर अपनी ज़मीन का अधिकार नहीं छोड़ेंगे।