
क्या 250 सरकारी स्कूलों के मर्ज से कमजोर हो सकता है ग्रामीण शिक्षा तंत्र
नागौर। राजस्थान सरकार ने नागौर, डीडवाना-कुचामन सहित राज्य के विभिन्न जिलों में शून्य या कम नामांकन और नजदीकी स्कूलों की उपलब्धता का हवाला देकर 250 से अधिक सरकारी स्कूलों को मर्ज करने का आदेश जारी किया है। इस फैसले पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
एक तरफ सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने की बात करती है, तो दूसरी तरफ निर्धन बच्चों के स्कूल बंद कर उनकी शिक्षा के अधिकार को चुनौती दे रही है।विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूलों में कम नामांकन के लिए जिम्मेदार कारणों की समीक्षा किए बिना उन्हें बंद करना न्यायसंगत नहीं है।
पूर्व में बीजेपी शासन के दौरान भी इसी तरह स्कूलों को मर्ज करने के फैसले से ग्रामीण शिक्षा प्रभावित हुई थी।गांव और ढाणी में रहने वाले गरीब परिवारों के बच्चे सरकारी स्कूलों पर निर्भर हैं। स्कूलों को बंद करने से उन्हें दूरस्थ स्थानों पर पढ़ाई के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिससे उनकी शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
जनता ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से अपील की है कि इस फैसले पर पुनर्विचार करें। सरकार को स्कूल बंद करने के बजाय उनकी गुणवत्ता और सुविधाओं में सुधार पर ध्यान देना चाहिए। यह फैसला ग्रामीण शिक्षा को कमजोर कर सकता है।