
जनता के हक की लड़ाई में महिलाएं भी मैदान में, रेलवे प्रशासन को दी सख्त चेतावनी
बड़ी खाटू/नागौर। बड़ीखाटू रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव को लेकर चल रहा अनिश्चितकालीन धरना रविवार को 12वें दिन में प्रवेश कर गया। अब इस आंदोलन में महिलाओं ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी दर्ज कराई है। आंदोलनकारी महिलाओं ने रेलवे प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर जल्द ही ठहराव की मांग पूरी नहीं की गई, तो वे अपने आंदोलन को और उग्र करेंगी। इस बीच, बड़ीखाटू रेलवे स्टेशन पर दिन-रात धरना दे रहे लोगों को स्थानीय ग्रामीणों और व्यापारियों का भी पूरा समर्थन मिल रहा है।
महिलाओं का शक्ति प्रदर्शन,कस्बे में चूल्हे तक नहीं जले

रविवार की सुबह से ही बड़ी संख्या में महिलाएं धरना स्थल पर पहुंचने लगीं। आस-पास के गांवों से भी कई महिलाएं अलग-अलग साधनों से धरने में शामिल होने आईं। इस दौरान महिलाओं ने रेलवे प्रशासन की हठधर्मिता के विरोध में अपने घरों के चूल्हे तक नहीं जलाए। महिलाओं ने एकजुटता दिखाते हुए कहा कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, वे अपने घरों की रसोई तक नहीं जलाएंगी।
धरने में शामिल छात्रा रूप कंवर ने कहा कि क्षेत्र के लोगों के लिए एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव बेहद जरूरी है। बिना ट्रेन के यहां के युवाओं की शिक्षा और रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। सोनाली बारूपाल ने कहा कि मातृत्व शक्ति ने अगर धरना स्थल पर आकर अपनी भागीदारी दी है, तो जरूरत पड़ने पर रेलवे का चक्का जाम भी किया जा सकता है। अनुराधा भाटी ने कहा कि महिलाओं का यह विरोध प्रदर्शन रेलवे प्रशासन को चेतावनी देने के लिए काफी है। अगर जल्द ही उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
धरने के दौरान महिलाओं ने रेलवे के जोधपुर डीआरएम के नाम स्टेशन मास्टर गणेश मीणा को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में साफ तौर पर लिखा गया कि बड़ीखाटू रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की व्यवस्था तत्काल बहाल की जाए, अन्यथा महिलाएं मजबूर होकर उग्र धरना प्रदर्शन करने को बाध्य होंगी।
बड़ी खाटू का इतिहास गवाह, संघर्ष से मिला था ठहराव
बड़ीखाटू रेलवे स्टेशन पर पहले एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव होता था, लेकिन 1983 में रेलवे प्रशासन ने अचानक दिल्ली मेल का ठहराव बंद करने का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद क्षेत्रवासियों ने इस निर्णय का पुरजोर विरोध किया। बड़ीखाटू संघर्ष समिति के नेतृत्व में आंदोलन किया गया, जिसमें स्थानीय सांसद और जनप्रतिनिधियों ने भी समर्थन दिया।
उस समय बीकानेर के तत्कालीन सांसद मनफूल सिंह भादू को जब इस फैसले की जानकारी मिली, तो उन्होंने तत्कालीन रेल मंत्री मलिकार्जुन से संपर्क किया। रेल मंत्री ने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए दिल्ली मेल के ठहराव को बहाल करने के निर्देश दिए। तब केन्द्रीय मंत्री अशोक गहलोत ने भी इस मुद्दे को संज्ञान में लिया और रेलवे प्रशासन से बात की। संघर्ष समिति के अध्यक्ष खींवसिंह कोठारी के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन के कारण रेलवे प्रशासन को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा था।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब-जब बड़ीखाटू के लोगों ने अपने हक के लिए आवाज उठाई, तब-तब प्रशासन को झुकना पड़ा। लेकिन आज के समय में जब सरकार “विकसित भारत” की बात कर रही है, तब भी ग्रामीण क्षेत्रों की मूलभूत आवश्यकताओं को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
पर्यटन स्थल का दर्जा फिर भी अनदेखी

गौरतलब है कि बड़ीखाटू को पर्यटन स्थल का दर्जा मिल चुका है। यहां विश्व प्रसिद्ध दरगाह हजरत सूफी समन दीवान र. अ. स्थित है, जहां सालभर में हजारों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं। इसके अलावा, क्षेत्र में स्थित शिव बाग आश्रम भी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है, जहां हर साल हजारों की संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं।
अगर रेलवे प्रशासन बड़ीखाटू रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की सुविधा बहाल कर दे, तो इससे न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों के रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। रेलवे को भी इससे आर्थिक लाभ होगा, क्योंकि पर्यटन स्थल होने के कारण यहां बड़ी संख्या में लोग यात्रा करते हैं।
रेलवे विकास समिति का अल्टीमेटम
रेलवे विकास समिति के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद से रेलवे प्रशासन ने बिना किसी ठोस कारण के बड़ीखाटू रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव बंद कर दिया। इस कारण से क्षेत्र के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले चार वर्षों में रेलवे विकास समिति के पदाधिकारी और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि कई बार रेलवे अधिकारियों से मिले, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला।
अब, जब कोई हल नहीं निकला, तो क्षेत्र के लोगों को मजबूर होकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू करना पड़ा। रेलवे विकास समिति के अनुसार, अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो वे रेलवे ट्रैक पर बैठकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे और बड़ा धरना प्रदर्शन करेंगे।धरने में उपस्थित सोनू कंवर, मानसी जांगिड, विमला लुणा, यास्मिन बानो, हज्जन कलसुम बेगम, रमजाना लीलगर, सहित अन्य महिलाओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
राजनीतिक उदासीनता बनी बाधा
क्षेत्र के लोगों का मानना है कि बड़ीखाटू रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव न होने की एक बड़ी वजह राजनीतिक उदासीनता भी है। पहले के समय में जब किसी क्षेत्र की मूलभूत सुविधाएं प्रभावित होती थीं, तो जनप्रतिनिधि तुरंत उस पर कार्रवाई करते थे। लेकिन वर्तमान समय में जनप्रतिनिधि सिर्फ आश्वासन देकर चुप बैठ जाते हैं।
1983 में जब दिल्ली मेल का ठहराव हटाने का आदेश आया था, तब तत्कालीन सांसद मनफूल सिंह भादू ने रेल मंत्री से बात कर इस निर्णय को निरस्त करवाया था। लेकिन आज के समय में विधायक, सांसद और मंत्री सबकी सिफारिश के बावजूद रेलवे प्रशासन इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा।