ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने का मन बना रहे ग्रामीण।

बड़ी खाटू/नागौर। जायल तहसील (नागौर) का खाटू रेलवे स्टेशन एक ऐसा स्थान है जो क्षेत्रीय विकास और यातायात सुविधाओं का केंद्र बन सकता था। इसे स्थानीय निवासियों की सुविधा के लिए बनाया गया और रेल्वे ने करोड़ों रुपये खर्च कर इसके विकास का कार्य पूरा किया गया। लेकिन, वर्तमान में यह स्टेशन अपनी उपयोगिता साबित करने में विफल है। लॉकडाउन के बाद से यहां एक भी एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव नहीं हो रहा है। इस स्थिति ने न केवल ग्रामीणों को परेशान किया है, बल्कि रेलवे प्रशासन की उदासीनता भी उजागर कर दिया है।

File Photo

रेल्वे स्टेशन की भौगालिक स्थिति

खाटू रेलवे स्टेशन पर दो प्लेटफॉर्म हैं और अन्य आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। लेकिन, लॉकडाउन के बाद से यहां एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव बंद हो गया है। यह रेलवे स्टेशन जायल तहसील का एकमात्र स्टेशन है और इसका उपयोग आसपास के गांवों के हजारों लोग कर सकते हैं। ट्रेनों का ठहराव नहीं होने के कारण यात्रियों को नागौर, छोटी खाटू, डीडवाना जैसे अन्य स्टेशनों का सहारा लेना पड़ रहा है। यह न केवल समय की बर्बादी है, बल्कि ग्रामीणों के लिए आर्थिक रूप से भी यात्रियों भारी पड़ रहा है।बड़ी खाटू क्षेत्र में निकलने वाला सेंड स्टोन विश्वभर में अपनी पहचान बनाए हुए है।अगर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव होता है,तो क्षेत्र में रोजगार भी तेजी से बढ़ेगा।

क्षेत्रवासियों में आक्रोश

स्थानीय निवासियों ने कई बार रेलवे विभाग, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से ट्रेनों के ठहराव की मांग की है। जयपुर, जोधपुर और दिल्ली तक जाकर ज्ञापन सौंपे गए हैं। सांसद हनुमान बेनीवाल और अन्य जनप्रतिनिधियों को बार-बार इस मुद्दे पर अवगत कराया गया, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा। रेलवे विभाग की इस लापरवाही से ग्रामीणों में आक्रोश है।ग्रामीणों का कहना है कि स्टेशन पर करोड़ों रुपये खर्च कर जो विकास किया गया, उसका उद्देश्य क्षेत्रीय जनता की सुविधा बढ़ाना था। लेकिन जब यहां ट्रेनों का ठहराव ही नहीं हो रहा है, तो यह विकास कार्य व्यर्थ साबित हो रहा है।

रेलवे प्रशासन की अनदेखी से बढ़ता आक्रोश

बड़ी खाटू रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव न होने से स्थानीय लोगों की नाराज़गी बढ़ रही है। यह स्टेशन नागौर जिले के विकास का केंद्र बन सकता था, लेकिन विभागीय उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता के चलते यह स्टेशन उपेक्षा का शिकार है।ग्रामीणों ने बताया कि रेलवे स्टेशन के विकास के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए। लेकिन जब स्टेशन का उपयोग ही नहीं हो रहा है, तो यह पैसा व्यर्थ हो गया। रेलवे विभाग की इस अनदेखी से क्षेत्र के विकास में बाधा आ रही है।

खाटू रेल्वे स्टेशन

ग्रामीणों ने क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों पर उठाए सवाल

क्षेत्रवासियों का कहना है कि चुनावों के दौरान बड़े-बड़े वादे किए गए थे। सांसद और विधायकों ने आश्वासन दिया था कि बड़ी खाटू रेलवे स्टेशन को क्षेत्र का यातायात केंद्र बनाया जाएगा। लेकिन चुनाव जीतने के बाद, जनप्रतिनिधि इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।ग्रामीणों ने कहा, “जब हमारे जनप्रतिनिधि ही हमारी समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते, तो हमें खुद ही अपनी आवाज़ उठानी होगी। यदि एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव सुनिश्चित नहीं किया गया, तो हम अपने स्तर पर आंदोलन करेंगे।

क्षेत्रवासियों ने प्रशासन को दी आंदोलन की चेतावनी

क्षेत्रवासियों ने सरकार और रेलवे विभाग को चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे। क्षेत्रवासियों का कहना है कि 30 जनवरी तक रेलवे की ओर से किसी प्रकार की प्रति क्रिया नहीं आई तो शांति पूर्वक तरीके से अपने स्तर पर करेगे धरना प्रदर्शन.

ब्रिटिशकाल में खाटू रेल्वे स्टेशन रह चुका है मालवाहक स्टेशन

खाटू रेलवे स्टेशन ब्रिटिश काल में महत्वपूर्ण था। उस समय यह मालवाहन और अनाज मंडी के रूप में प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। रेलवे लाइन के जरिए क्षेत्र में व्यापार और संचार में तेजी आई। इसके साथ ही, यह स्टेशन ब्रिटिश साम्राज्य के लिए सैन्य गतिविधियों में भी सहायक था। बड़ी खाटू स्टेशन ने ब्रिटिश सेना के लिए भी महत्व बढ़ाया, क्योंकि यह जोधपुर, नसीराबाद और दिल्ली जैसी सैन्य छावनियों के करीब था, जो सैन्य रणनीतियों के लिए अहम थे।

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