
भारत और क़तर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, क्योंकि भारतीय विदेश मंत्री, डॉ. एस. जयशंकर, 30 दिसंबर 2024 से 1 जनवरी 2025 तक क़तर की यात्रा पर हैं। यह यात्रा भारत और क़तर के बीच मजबूत हो रहे रिश्तों को और भी प्रगाढ़ करने की दिशा में एक अहम मील का पत्थर साबित हो सकती है। इस लेख में हम इस यात्रा के महत्व को समझने की कोशिश करेंगे और यह जानेंगे कि भारत क़तर को इतनी तवज्जो क्यों दे रहा है।
एस. जयशंकर की क़तर यात्रा: एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा
डॉ. एस. जयशंकर की यह यात्रा साल 2024 में क़तर की उनकी चौथी यात्रा है। इससे पहले वे फरवरी, जून और दिसंबर में क़तर यात्रा कर चुके हैं। इस बार क़तर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री, शेख़ मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी से उनकी मुलाकात होने वाली है। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती प्रदान करना है।
यह महत्वपूर्ण है कि भारत और क़तर के रिश्ते विभिन्न पहलुओं पर आधारित हैं, जैसे कि व्यापार, ऊर्जा, सुरक्षा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और प्रवासी भारतीयों की स्थिति। इन पहलुओं पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने के लिए विदेश मंत्री की नियमित यात्राएं इस बात को स्पष्ट करती हैं कि भारत क़तर को अपनी विदेश नीति में कितनी अहमियत दे रहा है।

क़तर और भारत: बढ़ते व्यापारिक और रणनीतिक संबंध
भारत और क़तर के बीच व्यापारिक रिश्ते लंबे समय से मजबूत रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में यह और भी प्रगाढ़ हुए हैं। क़तर एक प्रमुख गैस उत्पादक देश है, और भारत इसके प्रमुख ऊर्जा साझेदारों में से एक है। क़तर से भारत को प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम उत्पादों और अन्य ऊर्जा संसाधनों की आपूर्ति होती है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। क़तर के साथ भारत के ऊर्जा व्यापार की दिशा में और भी सुधार की संभावना है, जो दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग को और मजबूत करता है।
क़तर में भारत के निवेश और कारोबार भी बढ़े हैं, खासकर निर्माण, इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी क्षेत्र में। भारतीय कंपनियां क़तर में बड़ी परियोजनाओं का हिस्सा रही हैं, और यह सहयोग भविष्य में और भी बढ़ सकता है। क़तर में भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या भी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो दोनों देशों के बीच रिश्तों को और प्रगाढ़ करता है।
क़तर: भारतीय प्रवासियों के लिए एक ‘दूसरा घर’
क़तर में भारतीय प्रवासी समुदाय की संख्या बहुत बड़ी है, और वे यहां के आर्थिक और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क़तर को अपना ‘दूसरा घर’ बताया है, और यह बात क़तर में रहने वाले भारतीय नागरिकों के लिए गर्व की बात है। क़तर में भारतीय श्रमिकों की संख्या बहुत अधिक है, जो निर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। उनके योगदान को देखते हुए क़तर सरकार और भारत के बीच कामकाजी रिश्ते मजबूत हो चुके हैं।
क़तर में भारतीय नागरिकों की स्थिति को लेकर भारतीय सरकार ने कई कदम उठाए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने हमेशा क़तर में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए काम किया है। इसके अलावा, भारत और क़तर के बीच पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी बढ़ा है, जो दोनों देशों के बीच मित्रवत रिश्तों को प्रगाढ़ करता है।
क़तर के साथ सुरक्षा और रक्षा सहयोग
भारत और क़तर के बीच सुरक्षा और रक्षा सहयोग भी एक अहम पहलू है। दोनों देशों के बीच आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा पर सहयोग बढ़ रहा है। क़तर का रणनीतिक स्थान और उसके सशस्त्र बलों के साथ भारत का बढ़ता सहयोग भविष्य में दोनों देशों के सुरक्षा हितों को सुनिश्चित करने में मददगार हो सकता है।
भारत और क़तर के बीच रक्षा सहयोग को और बढ़ावा देने के लिए क़तर में भारतीय सैनिकों के लिए प्रशिक्षण और अन्य सहायता प्रदान करने के कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, क़तर और भारत संयुक्त रूप से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी सहयोग कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच आपसी समझ और रणनीतिक साझेदारी को देखते हुए यह सुरक्षा सहयोग और भी बढ़ सकता है।
क़तर की विदेश नीति में भारत की भूमिका
क़तर की विदेश नीति में भारत का स्थान महत्वपूर्ण है। क़तर, जो एक छोटे आकार का लेकिन ताकतवर देश है, अपनी विदेश नीति में भारत के साथ एक मजबूत साझेदारी को प्राथमिकता देता है। क़तर ने हमेशा भारत के साथ अच्छे रिश्तों को बनाए रखा है और भारत को अपने प्रमुख रणनीतिक साझेदारों में से एक मानता है। इसके अलावा, क़तर ने हमेशा भारतीय दृष्टिकोण और स्थिति का सम्मान किया है, चाहे वह अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर हो या फिर क्षेत्रीय संकटों पर।
भारत के लिए क़तर एक महत्वपूर्ण साझेदार है क्योंकि क़तर न केवल एक ऊर्जा शक्ति है, बल्कि एक ऐसा देश है, जो विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करता है। क़तर का पाकिस्तान के साथ करीबी रिश्ता होने के बावजूद, वह भारत के साथ भी मजबूत रिश्तों को बनाए रखने के लिए काम करता है, जो भारत के लिए एक कूटनीतिक सफलता है।